नाम : प्रो. दिलीप सिंह
जन्म : आठ अगस्त, १९५१ वाराणसी में। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा एवं शोध कार्य। समाजभाषाविज्ञान में पीएच.डी.। हिंदी भाषा के स्तर भेद तथा उसके शैलीय विकल्पनों के गंभीर अध्येता। हिंदी की क्षेत्रीय, सामाजिक, साहित्यिक तथा प्रयोजनमूलक शैली भेदों के विश्लेषक भाषाविद्।
फ्रांस और अमरीका में हिंदी शिक्षण। केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा में कार्यानुभव। उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभ के हैदराबाद तथा धारवाड़ केंद्र में भाषाविज्ञान लेखन। व्यावसायिक हिंदी, समसामयिक हिंदी कविता, शैली तत्व : सिद्धांत और व्यवहार, अनुवाद : अवधारणा और अनुप्रयोग, साहित्येतर अनुवाद विमर्श, भाषा का संसार, पाठ विश्लेषण, हिंदी भाषा चिंतन, भाषा, साहित्य और संस्कृति शिक्षण, अन्य भाषा शिक्षण के बृहद संदर्भ, अनुवाद की व्यापक संकल्पना आदि कुछ चर्चित पुस्तकें हैं। प्रो. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव के लेखों का सह-संपादन हिंदी भाषा का समाजशास्त्र, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, साहित्य का भाषिक चिंतन। साहित्यिक और साहित्येतर पाठ विश्लेषण पर व्यापक लेखन। पाठ-आलोचना के सिद्धांत और व्यवहार पर गहरी पकड़ रखने वाले भाषा चिंतक।
संप्रति : प्रो.दिलीप सिंह, कुलसचिव, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, टी.नगर, चेन्नई - 600 017
3 टिप्पणियां:
Shubhkamnaye aur dhanyavad!
गुरूवर फ्रो.दिलीप सिंह जी को प्रणाम..आप का ब्लाग हमारे लिए बहुत उपयोग है।
प़ो दिलीप सिंह विषयक ब्लाग बड़ा उपयोगी है , उन के रचना कर्म को
जानने के लिए और उन के व्यक्तित्त्व का परिचय पाने के लिए । आशा है कि उन की गतिशीलता की सूचना मिलती रहेगी ।
एक टिप्पणी भेजें